Saturday 31 December 2011

आधी हकीकत आधा फसाना 1



राज कपूर के संगीतकार

रविवार, ४ दिसम्बर २०११

ओल्ड इस गोल्ड श्रृंखला # 801/2011/241


‘जिन्दा हूँ इस तरह कि गम-ए-ज़िन्दगी नहीं...’ : राम गांगुली


‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के सभी संगीत-प्रेमियों का, मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से आरम्भ हो रही श्रृंखला “आधी हकीकत आधा फसाना” के माध्यम से हम भारतीय सिनेमा के एक ऐसे स्वप्नदर्शी व्यक्तित्व पर चर्चा करेंगे, जिसने देश की स्वतन्त्रता के पश्चात कई दशकों तक भारतीय जनमानस को प्रभावित किया। सिनेमा के माध्यम से समाज को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले भारतीय सिनेमा के पाँच स्तम्भों- वी. शान्ताराम, विमल राय, महबूब खाँ और गुरुदत्त के साथ राज कपूर का नाम भी एक कल्पनाशील फ़िल्मकार के रूप में इतिहास में दर्ज़ हो चुका है। १४दिसम्बर को इस महान फ़िल्मकार के ८७वीं जयन्ती है। इस अवसर के लिए श्रृंखला प्रस्तुत करने की जब योजना बन रही थी तब ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के सम्पादक सजीव सारथी और मेजवान सुजोय चटर्जी की इच्छा थी कि इस श्रृंखला में राज कपूर की फिल्मों के गीतों को एक नये कोण से टटोला जाए। आज से आरम्भ हो रही श्रृंखला “आधी हकीकत आधा फसाना” में हमने दस ऐसे संगीतकारों के गीतों को चुना है, जिन्होने राज कपूर के आरम्भिक दशक की फिल्मों में उत्कृष्ट स्तर का संगीत दिया था। ये संगीतकार राज कपूर के व्यक्तित्व से और राज कपूर इनके संगीत से अत्यन्त प्रभावित हुए थे।

राज कपूर के फिल्म-निर्माण की लालसा का आरम्भ फिल्म ‘आग’ से हुआ था, जिसके संगीतकार राम गांगुली थे। दरअसल यह पहली फिल्म राज कपूर के भावी फिल्मी जीवन का एक घोषणा-पत्र था। ठीक उसी प्रकार, जैसे लोकतन्त्र में चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी अपने दल का घोषणा-पत्र जनता के सामने प्रस्तुत करता है। ‘आग’ में जो मुद्दे लिये गए थे, बाद की फिल्मों में उन्हीं मुद्दों का विस्तार था, और ‘आग’ की चरम परिणति ‘मेरा नाम जोकर’ में हम देखते हैं। ‘आग’ का नायक नाटक और रंगमंच के प्रति दीवाना है। फिल्म में राज कपूर का एक संवाद है- ‘मैं थियेटर को उस ऊँचाई पर ले जाऊँगा, जहाँ लोग उसे सम्मान की दृष्टि से देखते हैं...’। राज कपूर अपने पिता के ‘पृथ्वी थियेटर’ मे एक सामान्य कर्मचारी के रूप में कार्य करते थे। ‘आग’ का कथ्य यहीं से उपजा था। केवल कथ्य ही नहीं, पहली फिल्म के संगीतकार भी राज कपूर को ‘पृथ्वी थियेटर’ से ही मिले थे- राम गांगुली के रूप में। पृथ्वीराज कपूर की नाट्य-प्रस्तुतियों के संगीतकार राम गांगुली ही हुआ करते थे।

५अगस्त, १९२८ को जन्में राम गांगुली को सितार-वादन की शिक्षा उस्ताद अलाउद्दीन खाँ से प्राप्त हुई थी। मात्र १७वर्ष की आयु से ही उन्होने मंच-प्रदर्शन करना आरम्भ कर दिया था। संगीतकार आर.सी. बोराल ने उन्हें न्यू थिएटर्स में वादक के रूप मे स्थान दिया। बाद में पृथ्वीराज कपूर ने अपने नाटकों में संगीत निर्देशन के लिए उन्हें ‘पृथ्वी थियेटर’ में बुला लिया। ‘पृथ्वी थियेटर’ के ही अत्यन्त लोकप्रिय नाटक ‘पठान’ में अभिनय करते हुए राज कपूर ने राम गांगुली का संगीतबद्ध किया गीत- ‘हम बाबू नये निराले हैं...’ गाया था। अपने इन्हीं प्रगाढ़ सम्बन्धों के कारण राज कपूर ने अपनी पहली निर्मित, अभिनीत और निर्देशित फिल्म ‘आग’ के संगीतकार के रूप में राम गांगुली को चुना। फिल्म ‘आग’ के गीत ‘काहे कोयल शोर मचाए...’, ‘कहीं का दीपक कहीं की बाती...’, ‘रात को जो चमके तारे...’ आदि अपने समय में लोकप्रिय हुए थे, किन्तु जो लोकप्रियता ‘ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं...’ गीत को मिली वह आज तक कायम है। आज भी यह गीत सुनने वालों को रोमांचित कर देता है। बाद में वी. शान्ताराम की फिल्म ‘सेहरा’ में संगीतकार के रूप में चर्चित सुप्रसिद्ध शहनाई और बांसुरी वादक रामलाल ने इस गीत में अत्यंत संवेदनशील बांसुरी वादन किया था। इसके गीतकार बहजाद लखनवी और गायक थे, राज कपूर के सबसे प्रिय गायक मुकेश। स्वप्नदर्शी सिने-पुरुष राज कपूर को उनकी जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित इस श्रृंखला का प्रारम्भ करते हुए आइए, सुनते हैं, निर्माता, निर्देशक और अभिनेता के रूप में बनाई गई उनकी पहली फिल्म ‘आग’ का सर्वाधिक लोकप्रिय गीत-

गीत -‘जिन्दा हूँ इस तरह कि...’ : फिल्म –आग : संगीत –राम गांगुली
http://www.youtube.com/watch?v=QYL3jkDicRI&feature=relmfu

क्या आप जानते हैं... कि राज कपूर की सर्वाधिक २० फिल्मों में संगीत निर्देशन करने वाले शंकर-जयकिशन, फिल्म ‘आग’ में राम गांगुली के संगीत दल में क्रमशः तबला और हारमोनियम वादक थे।

कृष्णमोहन मिश्र

2 टिप्पणियाँ


बेनामी sujoy chatterjee ने कहा…
bahut badhiya krishnamohan ji.
४ दिसम्बर २०११ ८:४३ अपराह्न
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ब्लॉगर AVADH ने कहा…
किसी का उत्तर न देख कर मैं अब कोशिश कर रहा हूँ. संगीतकार: अनिल बिस्वास अवध लाल
५ दिसम्बर २०११ १:०७ अपराह्न



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