Saturday 31 December 2011

आधी हकीकत आधा फसाना 4

बुधवार, ७ दिसम्बर २०११
ओल्ड इस गोल्ड श्रृंखला # 804/2011/244


ख़यालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते... : रोशन  

राज कपूर की प्रारम्भिक दौर की फिल्मों के संगीतकारों पर केन्द्रित हमारी श्रृंखला 'आधी हकीकत आधा फसाना' की चौथी कड़ी में एक बार पुनः, मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम राज कपूर की फिल्म यात्रा के आरम्भिक एक दशक के उन संगीतकारों की चर्चा कर रहे हैं, जिनके संगीत ने फिल्म-इतिहास के कई पृष्ठों को रेखांकित किया है। राज कपूर के अभिनय में सहज रूप से हँसने और उतने ही सहज रूप से रोने की अद्भुत क्षमता थी। सम्भवतः इसी गुण के कारण उन्हें भारत का चार्ली चैपलिन कहा गया था। राज कपूर को प्रेम ने हँसने और रोने की क्षमता दी, तो स्वतन्त्रता के बाद तेजी से बदलते भारतीय मूल्यों ने हँसते हुए रोना और रोते हुए हँसना सिखा दिया। आग से लेकर जिस देश में गंगा बहती है तक राज कपूर की फिल्मों में प्रेम के स्थायी भाव के साथ-साथ देश की विसंगतियों पर दर्शकों ने आँसू के बीच मुस्कान और मुस्कान के बीच आँसू के भाव को स्पष्ट अनुभव किया है। उनके अभिनीत कई ऐसे गीत हैं, जो दर्द भरे गीतों की सूची में शीर्ष पर हैं। इस श्रृंखला की पहली कड़ी में हमने फिल्म आग से राम गांगुली का संगीतबद्ध किया एक ऐसा ही दर्द भरा गीत आपको सुनवाया था। परदे पर राज कपूर द्वारा गाये अधिकतर दर्द भरे गीतों में स्वर मुकेश के हैं। आज हम आपसे राज कपूर द्वारा अभिनीत फिल्म बावरे नैन के गीतों पर चर्चा करेंगे, जिसे रोशन ने संगीतबद्ध किया था।
पाँचवें दशक के अन्त अर्थात १९४९ में भारतीय फिल्म जगत में एक ऐसे संगीतकार का उदय हुआ, जो लखनऊ के मैरिस कालेज (वर्तमान में भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय) से शास्त्रीय संगीत में विधिवत प्रशिक्षित, मैहर के उस्ताद अलाउद्दीन खाँ से सारंगी वादन की शिक्षा प्राप्त और बारह वर्षों तक आकाशवाणी में संगीतकार के रूप में कार्य करने का अनुभव लेकर आए थे। फिल्म संगीत में नया रंग भरने वाले उस संगीतकार को हम रोशन के नाम से जानते हैं। मुम्बई में रोशन को पहला अवसर देने वाले फिल्मकार थे केदार शर्मा, जिन्होंने अपनी फिल्म 'नेकी और बदी' में उन्हें संगीत निर्देशन के लिए अनुबन्धित किया। दुर्भाग्य से यह फिल्म चली नहीं और रोशन का बेहतर संगीत भी अनसुना रह गया। रोशन स्वभाव से अन्तर्मुखी थे। पहली फिल्म 'नेकी और बदी' की असफलता से रोशन चिन्तित रहा करते थे, तभी केदार शर्मा ने अपनी अगली फिल्म 'बावरे नैन' के संगीत का दायित्व उन्हें सौंपा। इस फिल्म के नायक राज कपूर थे। रोशन ने राज कपूर की अभिनय शैली और फिल्म में उनके चरित्र का सूक्ष्म अध्ययन किया और उसी के अनुकूल गीतों की धुनें बनाई। इस बार फिल्म भी हिट हुई और रोशन का संगीत भी। आज भी 'बावरे नैन' एक बड़ी संगीतमय फिल्म के रूप में याद की जाती है।
फिल्म बावरे नैन के नायक राज कपूर के लिए रोशन ने मुकेश की आवाज़ को प्राथमिकता दी। राजकपूर और मुकेश एक ही गुरु से संगीत सीखा करते थे, जबकि मुकेश और रोशन स्कूल के सहपाठी थे। फिल्म बावरे नैन में ये तीनों मित्र एकत्र हुए थे। परिणामस्वरूप फिल्म का गीत-संगीत उत्कृष्ट स्तर का बन गया। इस फिल्म में मुकेश और गीता दत्त का गाया युगल गीत- ख़यालों में किसी के इस तरह..., मुकेश और राजकुमारी का गाया- मुझे सच-सच बता दो..., राजकुमारी के स्वरों में गाये गए अन्य एकल गीत अपने समय के लोकप्रिय गीतों में थे। परन्तु जो लोकप्रियता राज कपूर पर फिल्माए गए गीत- तेरी दुनिया में दिल लगता नहीं वापस बुला ले... को मिली वह ऐतिहासिक थी। मुकेश के गाये इस गीत ने तहलका मचा दिया। इस गीत की लोकप्रियता का अनुमान इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि लगभग तीन दशक बाद एच.एम.वी. ने अपने बेस्ट ऑफ मुकेश संग्रह में इस गीत को स्थान दिया। इसी प्रकार फिल्म के एक अन्य युगल गीत- ख़यालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते... ने भी लोकप्रियता का कीर्तिमान स्थापित किया। आइए, यही गीत अब हम सब सुनते हैं, जिसे मुकेश और गीता दत्त ने गाया है। गीतकार हैं, केदार शर्मा और संगीतकार हैं रोशन। फिल्म बावरे नैन के इस गीत को सुनवाने का अनुरोध हमें ओल्ड इज़ गोल्ड की नियमित पाठक-श्रोता सुधा अरोड़ा ने किया है। आइए सुनते हैं, राज कपूर के फिल्मी सफर का एक उल्लेखनीय गीत-

गीत -ख़यालों में किसी के इस तरह आया... : फिल्म – बावरे नैन : संगीत – रोशन

क्या आप जानते हैं कि १९४९ में जब रोशन मुम्बई आए थे तब यहाँ उनका कोई परिचित नहीं था। दादर रेलवे स्टेशन पर अचानक उनकी भेंट केदार शर्मा से हुई और उन्हीं की फिल्म बावरे नैन में संगीत देकर रोशन ने एक श्रेष्ठ संगीतकार के रूप में अपनी पहचान बनाई।   

कृष्णमोहन मिश्र
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5 टिप्पणियाँ

ब्लॉगर अमित तिवारी ने कहा…
कृष्णमोहन जी को उनके जन्मदिवस पर रेडियो प्लेबैक इंडिया की ओर से ढेरों शुभकामनाएँ
७ दिसम्बर २०११ ६:५१ अपराह्न
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ब्लॉगर indu puri ने कहा…
इस घर मे ये एक चाँद को चमकाए हुए हैं.... हा हा हा चाँद ?????? अरे इंदु ....इंदु की ओर से कृष्ण जी आपको जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाये, बधाई. शकील बदायुनी जी ने इस गीत की तरह कई खूबसूरत गीत रचे और........हमने रचा अपना नया घर....परिवार. यकीन नही? सुरैया जी से पूछ लो जी. और... अरे मेरे लिए जूते की जरूरत नही. मैं बिना जूता दिखाए आ जाऊंगी.सच्ची. ऐसिच हूँ मैं तो...हा हा हा अवध भैया,  आपको इत्तेsssss दिनों बाद देखा.कहाँ चले गये थे आप? शरद भैया को भी बुलाइए और राजसिंह जी सर को भी. फिर धूम मचाएंगे, अपने नए घर मे हा हा हा... 
७ दिसम्बर २०११ ९:१७ अपराह्न
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ब्लॉगर कृष्णमोहन ने कहा…
अमित जी और इन्दु जी, आप दोनों को बहुत-बहुत धन्यवाद। आप लोग सपरिवार स्वस्थ और प्रसन्न रहें, यही कामना है।
७ दिसम्बर २०११ १०:१४ अपराह्न
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ब्लॉगर Smart Indian - स्मार्ट इंडियन ने कहा…
कृष्णमोहन जी, पिट्सबर्ग से भी जन्मदिवस की शुभकामनायें!
८ दिसम्बर २०११ ५:४६ पूर्वाह्न
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ब्लॉगर सजीव सारथी ने कहा…
krishnmohan ji, janmdin kii hardik shubhkaamnayen...ham log bhagyshaali hai ki hamen aapki mitrta sneh aur sahyog mila hai....aap yoohin apne jeevan se khushiyan bikherte rahen....bahut badhaayi
८ दिसम्बर २०११ ८:०१ पूर्वाह्न

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